पाप से बचो पुण्य अपने आप बढ़ेगा प्रमाण सागर महाराज

धर्म

पाप से बचो पुण्य अपने आप बढ़ेगा प्रमाण सागर महाराज
इंदौर
“हृदय में विचारों की पवित्रता ही पुण्य है,और विचारों की अपवित्रता ही पाप” अपने जीवन को पुण्यमय बनाना चाहते हो तो, उन पाप को छोड़ दो जो आपके जीवन को अपवित्र बनाते है,”ज्यों ज्यों जीवन में पवित्रता आती है,त्यों त्योंअंदर की कलुषता अपने आप निकलती चली जाती है”,”पाप से बचो, पुण्य अपने आप बढ़ेगा।” उपरोक्त उदगार मुनि श्री प्रमाणसागर महाराज ने उदयनगर जैन मंदिर में प्रातःकालीन प्रवचन सभा में व्यक्त किये।

 

मुनि श्री ने धर्म क्यों किया जाता है कि चार बातों पर प्रकाश डालते हुये कहा कि -अधिकांश लोग धर्म परंपरागत संस्कार से प्रेरित होकर करते है तो दूसरे वह लोग है जो यह सोचकर धर्म करते है कि धर्म करने से दुःख दारिद्र दूर होकर संकट टल जाऐंगे, तीसरे वह व्यक्ति है जो यह सोचकर धर्म करते है कि हम पुण्य करेंगे तो हमें सदगति मिलेगी,तथा चौथे व्यक्ति के मन में धर्म की यह अवधारणा है “धर्म करने से जीवन पवित्र बनता है, जिससे उनके जीवन में आ ळमूल चूल परिवर्तन आता है”

 

मुनि श्री ने कहा कि जीवन को पवित्र बनाने के लिये ही धर्म किया जाता है” “धर्म में कोई प्रलोभन नह़ी होंना चाहिये” धर्म में यदि प्रलोभन होता है तो उसकी पूर्ती न होंने पर व्यक्ति धर्म से विमुख हो जाता है, एवं उसके अंदर धर्म के प्रति शिकायत और क्षोभ उत्पन्न होता है। मुनि श्री ने अपने पिता की मृत्यु पर धर्म से विमुख युवक को समझाते हुये कहा कि”जीवन मरण संयोग वियोग किसी के हाथ में नहीं”धर्म” संकट और विपत्तियों की स्थिति में धैर्य और समता रखना सिखाता है।उन्होंने कहा जो लोग आत्ममुग्धता में जीते है वह लोग अपना पूरे जीवन में धर्म करने के पश्चात भी किसी दूसरे को प्रेरित नहीं कर पाते, “संसार में संयोग वियोग- हर्ष और विषाद पुण्य और पाप के खेल से चलते है” पुण्य कमाने के लिये पुण्य मत करो बल्कि जीवन को धन्य बनाने के लिये पुण्य करो मुनि श्री ने कहा पुण्य के प्रभाव से ही आपको अनुकूल संयोग मिलते है,तथा प्रतिकूल संयोग टलते है,जीवन को पवित्र बनाने का लक्ष्य रख कर यदि आप अपनेआपको धर्मी मानते हो तो आज से ही पाप करना बंद कर दो,और यदि अपने आपको पापी मानते हो तो आज से ही पाप करना छोड़ दो।

जो व्यक्ति धार्मिक क्रियाओं को करते ही नहीं बल्कि उसे आत्मसात करते है उनके उच्च आदर्शो को देखकर दूसरे लोग भी प्रेरणा पाते है। उपरोक्त जानकारी धर्म प्रभावना समिति के प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी ने बताया 5 नवम्वर मंगलवार को प्रवचन प्रातः 8:30 बजे से गोयल नगर दि.जैन मंदिर में होंगे तथा आहार चर्या संपन्न उपरांत मुनिश्री संघ सहित मोहताभवन रैसकोर्स रोड़ की ओर प्रस्थान करेंगे, 6नवंबर बुधवार के समस्त कार्यक्रम मोहताभवन से ही संचालित होंगे। 7 नवंबर गुरुवार को प्रातः7 बजे से मोहताभवन से श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान की घटयात्रा मुनिसंघ के सानिध्य में प्रारंभ होगी जो कि कार्यक्रम स्थल विजयनगर पर पहुंचेगी यंहा ध्वजारोहण के साथ मंडप उदघाटन तथा 108 मंडलों के साथ श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का शुभारंभ होगा जो कि लगातार चलेगा एवं 15 नवम्वर को विधान के समापन अवसर पर एतिहासिक 108 रथों पर श्री जी की विशाल ऐतिहासिक शोभायात्रा मुनिसंघ के सानिध्य में निकाली जाएगी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312

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