संत समागम संयम से आत्मिक उन्नति होती है संयम से जीवन उन्नति को प्राप्त होता हैआचार्य श्री वर्धमान सागर जी

धर्म

संत समागम संयम से आत्मिक उन्नति होती है संयम से जीवन उन्नति को प्राप्त होता हैआचार्य श्री वर्धमान सागर जी
पारसोला
पंचम पट्टाघीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज पारसोला में संघ सहित 56 वा चातुर्मास कर रहे हैं ।सुगंध दशमी के दिन नगर के सभी जिनालयों में आचार्य संघ के सानिध्य में अष्ट कर्म विनाश हेतु धूप का खेवन किया गया। धर्म सभा में प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि नदी के दो तट होते हैं तट नहीं होने से नदी असंयमित होकर क्षति करती है प्रकार मानव के जीवन में इंद्रीय और प्राणी संयम दो तट है जीवन इसी से चलता है जिस प्रकार पानी को एचपी मोटर पंप की सहायता से तीसरी चौथी मंजिल तक पहुंचाया जाता है उसी प्रकार इन्द्रिय संयम से मनुष्य का जीवन ऊंचा उठाया जाता है। अपने मानव जीवन जिन धर्म प्राप्त किया है,। ब्रह्मचारी गजू भैया ,राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य श्री ने प्रवचन में आगे बताया कि हमारे जीवन में संयम से सुख मिलता है। घर के बड़े बच्चों को संस्कार देते हैं। आचार्य श्री ने बताया कि इन्द्रिय के विषयों के उपयोग में सावधानी रखें। आज अक्षय , सुगंध दशमी का व्रत है बहुत से व्यक्ति शक्ति अनुसार पांच, 10 16 उपवास ,32 उपवास कर रहे हैं उपवास से संयम की पालना होती है उपवास सही में वृद्धि करने के लिए किया जाता है संयम से जीवन ऊपर उठता है। संयम से जीवन में शक्ति में वृद्धि होती है। संत समागम से संयम व्रत की प्रेरणा मिलती है। संत समागम संयम से आत्मिक उन्नति होती है। सौभाग्यशाली परिवार परिवारों द्वारा पूर्वाचार्यों के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्ज्वलित कर आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के चरण प्रक्षालन कर जिनवाणी भेंट की गई। राजेश पंचोलिया इंदौर से प्राप्त जानकारी संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312 

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