पुरुषार्थी व्यक्ति विघ्नों से जूझता है, पीछे नहीं हटता है सुधा सागर महाराज
सागर
भाग्योदय तीर्थ परिसर में निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव 108 श्री सुधा सागर महाराज ने अपने मंगल प्रवचन में कहा की कभी कार्य करने के पहले भाग्य को, भगवान को बीच में मत लाना चाहे अच्छा हो या बुरा। बस
इनसे आशीर्वाद ले लो की आप तो मुझे आशीर्वाद दे दो कि मेरा शगुन हो।
उन्होंने कहा कि शास्त्रों की बातें भी जब चाहे नहीं मानना, पहले खुद करो भगवान सब कुछ करने वाले है तो हम तो हो गए सेठ, और वो हो गए नौकर, तय करो की नहीं मैं भी कुछ करुंगा। भाग्य बाद में आएगा, पहले मेरे हाथ में क्या है, पुरुषार्थ के सामने भाग्य कोई मायने नहीं रखता। यह दृढ़ निश्चय करो। चुन लिया है पथ जो मैंने, उसी पथ पर चलूंगा।
उन्होंने कहा कि पुरुषार्थी व्यक्ति विघ्नों से जूझता है, पीछे नहीं हटता। वह कहता है किस्मत विघ्न डालेगी और उस किस्मत को मैं पलटूंगा, यही हमारा पुरुषार्थ है। अच्छाइयां कभी किस्मत में नहीं लिखी जाती, अच्छाइयां तो हमें प्राप्त करना है। पसीने की
कमाई है इसलिए भाग्य का नाम नहीं कहीं नहीं लेना, आगे बढ़ते जाओ। जब कोई तुम्हारा अपमान करें, तुरंत समझ लेना कि अब तुम्हे कहीं से सम्मान मिलने वाला है। नीति समझना स्वाभिमान कब नष्ट होता है जब बड़े तुम्हारी आलोचना करें। बड़े तुम्हें जब कृपा पात्र बनाएं समझ लेना मेरा स्वाभिमान नष्ट हो गया। बड़े जब तुमसे कह मैं तो हूं, समझ लेना तुम खत्म, तुम्हारा स्वाभिमान धूल में मिल चुका है। जिनसे तुम्हारा संबंध है और वह तुम्हारे गार्जियन है, भगवान, गुरु, महाराज जिनवाणी मां, माता-पिता जो तुम्हारे हितेषी हैं यदि वह कोई तुम्हारी आलोचना करें, निश्चित समझना तुम वही हो। अब तुम्हारे
पाप का घड़ा भरने वाला है। और फूटने वाला है। गुरु की दृष्टि में यदि तुम्हारा दोष आ गया तो लाइलाज बीमारी है। इसी प्रकार घर में मां-बाप की दृष्टि में दोषी मत बनना, कभी ऐसा कार्य मत करना, सबसे बड़ा अभिशाप है ये। जिसको णमोकार मंत्र आता है दुश्मन की बद्दुआ णमोकार मंत्र के भक्त को नहीं लगती।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312