संसार पत्थर रूपी नाव हैं इससे डूबते हैं,धर्म लकड़ी की नाव से जिससे जन्म मरण रूपी रोग से पार होते हैंआचार्य श्री वर्धमान सागर जी
बांसवाड़ा
पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी संघ सहित खांदू कॉलोनी बांसवाड़ा विराजित हैं धर्म सभा को संबोधित करते हुए मंगल देशना में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने धर्म सभा में प्रवचन में अनुप्रेक्षा 12 भावना के बारे में ,तप के बारे में, अंतरंग तप और बहिरंग तप के बारे में ,कर्मों की निर्जरा क्यों केसे की जाती है, ध्यान किसे कहते हैं ,ध्यान कितने होते हैं आर्त ध्यान ,रौद्र ध्यान, धर्म ध्यान और शुक्ल ध्यान के क्या परिणाम होते हैं और इन ध्यानों से कौन सी गति का बंध होता है इसके बारे में विस्तृत विवेचना की।अनुप्रेक्षा का आशय बताते हुए आचार्य श्री ने बताया है कि तत्वों को बार-बार चिंतन करना ही अनुप्रेक्षा भावना है यह 12 होती हैं अनित्य भावना शरण , संसार, एकत्व अन्यत्व, अशुचि,आश्रव, संवर ,निर्जरा ,लोक ,बोधीदुर्लभ और धर्म भावना होती हैं। सभी भावना अशरण, अनित्य भावना कहती है संसार असार हैं कोई शरण भूत नहीं हैं,भगवान ही शरणभूत है भगवान की दिव्य ध्वनि से प्राप्त उपदेश का मनन चिंतन करे जिनवाणी सही मार्ग दिखाती हैं।
ब्रह्मचारी गज्जू भैय्या एवम सेठ अमृत लाल अनुसार आचार्य श्री ने बताया कि तत्वार्थ सूत्र में उमा स्वामी ने कर्म रूपी दुख से छूटने का मार्ग बताया है कर्म के कारण दुःख होता हैं बांसवाडा की माही नदी पर बांध बना कर पानी रोका गया है बहाव रोकने से पानी ऊपर उठता हैं उसी प्रकार जीवन में तप से जीवन उन्नति को प्राप्त होता हैं।12 प्रकार के तप में 6 अंतरंग तप, 6 बहिरंग तप होते हैं तप बध है तप से कर्मों का संवर और निर्जरा होती हैं तप से कर्मों का आश्रव रुकता हैं राजेश पंचोलिया एवम समाज प्रतिनिधि अक्षय डांगरा अनुसार आचार्य श्री ने बताया कि व्रत परिसंख्यांन, वेय्या व्रत तप मन वचन एवम काय शरीर से किया जाता है ।ध्यान 4 होते हैं आर्त ध्यान दुःख के समय आयु बंध से तीर्याच गति रौद्र ध्यान क्रूर परिणाम कारण नरक गति और धर्म ध्यान से मनुष्य और देवगति मिलती हैं। धर्म ध्यान में रत्नत्रय ,देव शास्त्र गुरु के माध्यम से मन को स्थिर कर संयम धारण कर अनुपेक्षा के चिंतन से कर्मो को व्रत तप से नष्ट कर शुक्ल ध्यान प्राप्त करने का पुरुषार्थ करना चाहिए।क्योंकि संसार में धर्म ही सार है संसार पत्थर की नाव है जिससे डूबते है धर्म लकड़ी की नाव हैं जिससे संसार में जन्म मरण से छुटकारा मिलता हैं
राजेश पंचोलिया इंदौर से प्राप्त जानकारी संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312
