महान संघ नायक …आचार्य श्री समय सागर जी महाराज
कितना कठिन है आज दो भाइयों का एक घर में रहना ,जबकि जन्म एक मां से लिया एक पिता ने पालन किया, एक सी परवरिश मिली ,ओर एक सी शिक्षा फिर भी बड़े होते ही राह अलग अलग हो जाती है……
पर धन्य है गुरुदेव आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज जिन्होंने अलग अलग प्रांत , अलग अलग भाषा ,अलग अलग घर , अलग अलग परवरिश , अलग अलग सोच , अलग अलग शिक्षा और अलग अलग उम्र के व्यक्ति को आश्रय देकर गुरुवर ज्ञान सागर जी महाराज के गुरुकुल में रखा और 50 साल तक सम्हाला ,गुरुदेव का पुण्य अटूट था ,साधना बेमिसाल थी जो इतने बड़े गुरुकुल का संचालन कर पाए.
पर समझता हूं अपने बच्चे पालना फिर भी आसान है और बड़े या छोटे भाई के बच्चो को पालना कितना कठिन है कोई जबाबदारी नही लेना चाहता ।सबको अपना ही परिवार दिखता है क्योंकि एकल परिवार की परिपाटी है अपने बच्चो को जन्म दो अपने परिवार को पालों उनको देखो उनके लिए कमाओ और मौज करो
*पर धन्य है विद्या शिरोमणि आचार्य श्री समय सागर जी महाराज जो आज विश्व के सबसे ऊंचे पद पर प्रतिष्ठित है और विभिन्नता में एकता की मिशाल कायम किए है*
ऐसा लगता है इतने बड़े संत समुदाय को जो अपने वात्सलय से सींच रहे है जेसे कोई पिता सींचता है , बड़े से बड़े साधु हो , आर्यिका माता जी हो या छोटे छोटे क्षुल्लक महाराज जी या उससे छोटे छोटे 18- 20 साल के ब्रह्मचारी जी हमारे आचार्य महाराज का वो स्नेह इन दिनों कुंडलपुर में पा रहे है। जिसे देखकर हर कोई दंग है और मुख से कह रहा है कि गुरुदेव के जाने के बाद हम अनाथ नही हुए हम तो सनाथ है।
धन्य है आचार्य श्री समय सागर जी महाराज की करुणा उनकी व्यवस्था जो हर शिष्य समुदाय के लिए निरंतर चिंतन कर साधना और प्रभावना के क्षेत्र में आगे बढ़ा रहे है
मन तो बार बार बार यही कह रहा है
हमारे साथ आचार्य श्री समय सागर जी का हाथ तो किस बात की चिंता शुभांशु जैन शहपुरा से प्राप्त आलेख
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312