मां को समर्पित मातृ दिवस

काव्य रचना

मां को समर्पित मातृ दिवस
तेरे संवर जाएंगे परिणाम
अगर तूने रखा सदा मात पिता का ध्यान
हिमगिरी जैसी ऊंचाई है, सागर जैसी गहराई है
दुनिया में जितनी खुशबू है मां के आंचल से आई है।

 

 

हर रोज आंखों को मां का दीदार हो जाता है
दिन कोई सा भी हो मेरे लिए त्योहार हो जाता है
सभी को हसाने की ख्वाहिश है मेरी
मैं किसी को रुलाना नहीं चाहता
मेरी भी तमन्ना है ऊंचा उठू

 

 

 

 

 

 

पर किसी को गिराना नहीं चाहता
जिसने पैदा किया डर छिपाकर मुझे
और कोई भी गम चुरा कर मुझे
रात दिन जिसने मेरी राहे तकी
और खाया निवाला खिलाकर मुझे
प्रभु रूठ जाएंगे मना लूंगा फिर
दिल मां को रुला नही चाहता
एक भी आंसू मां का गर निकल जाएगा
तेरा दुनिया में आना विफल जाएगा
साथ में तेरे इनकी दुआएं रही
वक्त तेरा बुरा मान निकल जाएगा।

अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312

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