उठने लगी मांग अब बात बढ़नी चाहिए

काव्य रचना

उठने लगी मांग अब बात बढ़नी चाहिए
नो टुकड़ो का जबाव अब मिलना ही चाहिए
अहिंसा के साधक पर हिंसा का तांडव नहीं होना चाहिए
दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए
ऐसी पुनरावृत्ति ना हो इस पर ठोस कदम उठाना चाहिए
निर्ममता इस कृत्य के लिए आवाज उठाना ही चाहिए
सरकार को जगाना ही चाहिए
उठो अहिंसको अब हिंसा के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा हो जाना चाहिए
सरकार की नींद उड़ा देना चाहिए
मानवता पर हो रहा करारा व्रजपात अब नहीं सहना चाहिए
क्रांति का बिगुल बजा देना चाहिए

           
अहिंसा परमो धर्म का बिगुल अब बजना ही चाहिए
आगे बढ़ो अब नींद से जागना ही चाहिए

 

 

 

पंथवाद से परे होकर अब खड़े हो जाना चाहिए।।
बढ़-चढ़कर अब तो आगे आना ही चाहिए
मानवता का करारा व्रजपात अब नहीं सहना चाहिए

 

अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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