शायद इंडिया की जगह भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी पर
भारत लिखा होता तो इसके कई अलग मायने होते
कितना दुख होता है देश को एवं मेहनत करने वाले खिलाड़ियों को जब सारे मैच जीतने के बाद और एक ही मैच में नहीं हारने के बाद जब पदक लेने की बारी आती है और जब हम पदक लेने से एक कदम दूर रह गए हो तब वह हमारे हाथ से छिटक जाता है।
ऐसा ही कुछ दिखा जब भारत की टीम ऑस्ट्रेलिया से वर्ल्ड कप का फाइनल हार गई बड़ा आश्चर्य सा लगता है ना बड़ी-बड़ी टीमों को बहुत कम स्कोर बनाने के बावजूद भी हरा दिया गया विश्व कप में हमारी टीम ने 400 के आसपास भी रन स्कोर भी किया लेकिन फिर भी हम हार गए हैं। यह सभी जानते हैं कि हार और जीत एक सिक्के के दो पहलू हैं। लेकिन हमारे गुरु भगवंत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी कहा कि इंडिया नहीं भारत बोलो और इंडिया की जगह हर जगह भारत लिखा जाए। और हमने देखा कि जब जी शिखर सम्मेलन हुआ तब देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत लिखा जिसका परिणाम यही साबित हुआ की संपूर्ण विश्व में भारत की एक अलग पहचान बनी। लेकिन क्या हम मान सकते हैं आज भारत की हार होना हमारी टीम के जर्सी पर इंडिया लिखा होना हो सकता है।
अगर भारत लिखा होता तो शायद भारत की टीम इससे अच्छा प्रदर्शन कर सकती थी। ऐसा सोचा जा सकता है। भारत नाम में कई सार्थकता छिपी हैं जो इसके शब्द से ही समझा जा सकता है। खैर जो भी हो हार और जीत तो चलती रहेगी। लेकिन इंडिया की जगह भारत शब्द का ही प्रयोग होना चाहिए। तभी देश विकासशील देश की जगह विकसित देश की श्रेणी में खड़ा होगा। आर्थिक सामाजिक राजनीतिक परिवेश के साथ हम हर प्रतिस्पर्धा में विश्व स्तर पर चोटी में आ सकते है।
अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी