मुनि श्री 108 क्षमासागर महाराज के अष्टम समाधी दिवस पर भाव भीना नमन रामगंजमंडी राजस्थान वर्ष 2003 वर्षायोग स्मृति
इस धरा पर ऐसे महासंत हुए जो अपने नाम को सार्थक करते है ऐसे महामना संत हुए आचार्य श्री 108 क्षमासागर महाराज जो सचमुच क्षमा की मूर्ति थे उनके जीवन सदा क्षमा भाव झलकता था पूज्य महाराज श्री का रामगंजमंडी पर विशेष आशीष रहा उनका वर्ष 2003 का वर्षायोग हुआ जो अंनंत यादे लिख गया जिसे रामगंजमंडी वासी कभी भुला नहीं सकतेरा रामगंजमंडी नगर मे पूज्य मुनि श्री का मंगल आगमन 10 जुलाई 2003 की बेला मे हुआ पूज्य श्री का आगमन खेराबाद रात्री विश्राम के बाद रामगंजमंडी नगर मे हुआ नगर के प्रमुख मार्गो पर जय जयकारो की गूंज जगह जगह अभूतपूर्व आगवानी हुयी
पूज्य श्री का शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर मे मंगल आगमन हुआ उन्होने दर्शन उपरान्त अपना उद्बोधन दिया वह बहुत भावुक थे उन्होने कहा मै जब रामगंजमंडी आ रहा था तब मुझे लगा यह जगह केसी होगी लेकिन आचार्य श्री की जय जयकार की गूंज सुनी तो मै गदगद हो गया मुनि श्री उस समय बहुत भावुक थे मै भी उन क्षणों मे वहा मोजूद था उस समय सभा मे मोजूद हर जन भी भावुक था पूज्य श्री विलक्षण व्यक्तित्व थे वे स्वयं कठोर थे लेकिन दुसरो के लिए कोमल थे उनके द्वारा शंका समाधान काव्य रचना सभी को अपनी और खीच लेती थी
रामगंजमंडी की धरती पर जब गुरुदेव संघ के चातुर्मास के मंगल कलश स्थापना हुयी वह पावन दिन था 12 जुलाई 2003 मंगल कलश स्थापना का पुण्य लाभ श्रीमान अनंत कुमार चक्रेश कुमार आदित्य बागडिया परिवार को मिला पूज्य श्री के जब मंगल प्रवचन होते थे नगर का हर जन उनकी पीयूष वाणी को सुनने को आतुर रहता था पूज्य श्री से युवा पीढ़ी भी जुडी रामगंजमंडी नगर मे पूज्य श्री ने सभी को अनुशासन मे रहने की जो कला सिखलाई वह अलोकिक है इसी क्रम मे रामगंजमंडी को एक और अवसर मिला जो किसी कीर्तिमान नहीं है जैन जगत का प्रतिभा सम्मान समारोह आहूत करने का अवसर मिला जिसे यंग जैना अवार्ड के नाम से जाना जाता है जो इतिहास के पन्नो पर जीवित है यह आयोजन 4-10-2003 व 5-10-2003 को हुआ
उस समय सम्पूर्ण भारत वर्ष के जैन छात्र छात्राये जिन्होंने 10 th व 12th मे मे 85 प्रतिशत से अधिक प्राप्त किये उनको आगमन उंनके अभिवावक के साथ हुआ वह आयोजन ऐसा था जिसकी परीकल्पना कोई सोच नहीं सकता ऐसा आयोजन रामगंजमंडी इतिहास मे स्वर्णिम है उंनके आवास वह अन्य व्यवस्था का समुचित इंतजाम था प्रथम दिन मुनि श्री की आहरचर्या श्रीमान अजित जी सेठी परिवार के यहा हुयी
लगभग 300 से अधिक AWARDI और उंनके अभिवावकगण ने आहार दिया सारा नगर AWARDI से भरा सम्पूर्ण नगर मे इसकी चर्चा रही दोपहर की बेला मे मुनि श्री सभी AWARDI और परिवारजन से मिले और सभी ने धर्म से जुड़कर रात्री भोजन का त्याग व ज़मीकंद का त्याग किया वही एक क्विज भी आहूत हुआ जिसमे प्रथम द्वितीय तृतीय को पुरुस्क्रत किया गया वही 5 OCT2003 का पल आ गया जब AWARD समारोह का पल था पूरा नगर दुल्हन की तरह सजा था वह पल आया जब 5 OCT 2003 का पल मुनि श्री की आहारचर्या का था जब हमारे आवास पर मुनि श्री का आहार हुआ लगभग 300 से अधिक AWARDI और उंनके अभिवावकगण ने आहार दिया अन्य कार्यकर्ता भी रहे पूरे आवास पर भारी हजूम विधमान था हम तो गदगद थे ऐसे पल बिरलों को ही मिलते है वह पल आ गये जिसकी साक्षी कृषि उपज मंडी रामगंजमंडी रही 5 oct 2003 को AWARDI को पुरुस्क्रत किया गया ऐसा आयोजन नगर मे प्रथम था आज यह बच्चे कोई डॉक्टर कोई इंजीनियर कोई कलेक्टर या अन्य पदो पर रहकर देश की सेवा मे मिसाल कायम कर रहे है पिछिका परिवर्तन 2-11-2003 मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज व मुनि श्री भव्य सागर जी महाराज का 2-11-2003 कॉ पिछिका परिवर्तन हुआ जिसका साक्षी कृषि उपज मंडी रामगंजमंडी बना मुनि श्री भव्य सागर जी की पुरानी पिच्छिका लेने का सोभाग्य श्री निर्मलकुमार जी कनकमाला जी लाबाबाँस कॉ मिला यह पिछिकाये संयम गहण करने वालों कॉ प्रदान की गयी परम पूज्य मुनि श्री क्षमासागरजी महाराज और वोह दिव्य अलोकिक क्षण जिस दिन 2–11-2003 जब मुनि श्री का पिच्छिका परिवर्तन था उस दिन की आहार राजमल पदम् कुमार यानि हमारे निवास पर हुआ और वक़्त आया पिच्छिका देने लेने का तभी घोषणा हुयी मुनिवर की पिच्छिका पदमकुमार सुलोचना लुहाडिया को प्राप्त हुयी यानि माताजी पिताजी को सारा प्रागंण जय जय कारो से गूंज रहा था मन मेरा गदगद था ऐसे महान तपस्वी संत की पिच्छिका हमारे यहाँ मन तो कहेने लगा मेरी तो डोर बंद गयी है मेरी तो पतंग उड़ गयी है आचार्य श्री का 32 वा आचार्य पद प्रतिष्ठा महोत्सव मनाया गया मुनि संघ के सानिध्य मे 11 -11-2003 कॉ आचार्य श्री विधासागर जी महाराज का आचार्य पदारोहण दिवस मनाया गया
दोनों मुनि श्री ने आचार्य श्री के जीवन पर प्रकाश डाला और संस्मरण सुनाये व समाज द्वारा आचार्य श्री की आरती की गयी 9-11-2003 कॉ मुनि श्री के ग्रहस्थ जीवन के पिता श्री पधारे और दीप प्रज्वलित किया मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज के ग्रहस्थ जीवन के पिता श्री जीवनलाल जी सिंघई पधारे उन्होने आचार्य श्री के चित्र के सामने दीप प्रज्वलित किया और भाव भीना उदबोधन दिया इतिहास के पन्नो पर अमिट वर्षायोग मुनि संघ का वर्षायोग इतिहास के पन्नो पर सदा अमिट रहेगा
मुनि श्री ने युवा वर्ग कॉ अनुशासित किया साथ ही कर्म सिद्धान्त शंका समाधान के माध्यम से समाज कॉ जाग्रत किया नयी रोशनी दी काव्य ह्रदय मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज सचमुच क्षमा की मूर्ति थे उनका वात्सलय सदा अक्षुण्ण रहेगा इस वर्षायोग के पल पूज्य श्री का दीक्षा दिवस भीमनाया गया उस दिन कवि सम्मलेन भी आहूत हुआ जिसमे प्रख्यात कवी पधारे उस दिन का मुनि श्री का उद्बोधन भी भावुक था
वर्ष 2003 के हमे छायचित्र संकलित करने मे श्रीमान सुदेश विभा रावका का सहयोग रहा जो उन पलो के चित्र आप तक ला पाए
एक रिपोर्ट अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी