महाराष्ट्र की मदर टेरसा सिंधुताई सपकाल का निधन
सामजिक कार्यकर्ता सिंधुताई सपकाल का निधन हो गया वह काफी समय से अस्वथ्य थी। वे 74 वर्ष की थी। इनको महाराष्ट्र की ‘मदर टेरेसा’ कहा जाता था। अपना पुरा जीवन अनाथ बच्चों की सेवा को समर्पित किया।
लगभग 1400 अनाथ बच्चों को गोद लिया। इस नेक कार्य हेतु उन्हें कही पुरस्कार जिसमें पद्मश्री शामिल है।
परिचय
सिंधु ताई महाराष्ट्र के वर्धा जिले के चरवाहे परिवार से थी सिंधु ताई का बालपन वर्धा में बीता। उनका बालपन बहुत मुश्किलों के बीच निकला। जब सिंधु नौ वर्ष की हुई थीं तो उनका विवाह उनसे बड़े उम्र के व्यक्ति से कर दी गई थी। यह अपना सिर्फ चौथी कक्षा तक ही अध्यन कर पाई।
उनका मन आगे अध्यन का था , पर विवाह उपरान्त ससुराल पक्ष ने इस स्वप्न को पूर्ण नहीं होने दिया।
भावुक क्षण
इनके जीवन मे समय ने ऐसी करवट ली,इन्होंन अपनी बेटौ को मंदिर पर छोड़ दिया। लेकिन इसके उपरान्त रेलवे स्टेशन पर उन्हें एक बालक मिला, जिसे उन्होंने गोद लेने का फैसला किया। यह क्षण उनके जीवन को नया मार्ग दिखा गया उन्होंने उनके मन में सोच लिया की अब अनाथ बच्चों की जवाबदेही उन्हें लेना चाहिए।
इनके द्वारा अनाथ बच्चों के लिए खाने का इंतजाम किया जाने लगा। ऐसा क्षण जोइन्होने किया व आंखों में पानी लाने से नही रोक सकता। हजारों बच्चों के पेट भरने के खातिर सिंधु को रेलवे स्टेशन पर भीख तक मांगने पड़ी।
इन महानतम कार्य सिंधु ताई को 700 से भी अधिक सम्मान प्राप्त हुए थे। यही नही उ मिले सम्मान से मिली राशि को भी सिंधु ताई ने अपनी बच्चों की परवरिश में लगाया। इनके जीवन कृतित्व पर एक फ़िल्म का निर्माण भी हुआ है।
ऐसी महान आत्मा का चले जाना मानव जगत व राष्ट्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमडी

