अनिर्णय” की स्थिति और विपरीत निर्णय हमारी प्रगति में बाधक है प्रमाण सागर महाराज

धर्म

अनिर्णय” की स्थिति और विपरीत निर्णय हमारी प्रगति में बाधक है प्रमाण सागर महाराज
भोपाल
जीवन में अनेक प्रसंग ऐसे आते है जो हमारे चित्त को डावाडोल करते है, हम सही वक्त पर सही निर्णय नहीं ले पाते और आया हुआ अवसर हमारे हाथ से निकल जाता है” उपरोक्त उदगार मुनि श्री प्रमाणसागर महाराज ने अवधपुरी भोपाल में प्रातःकालीन प्रवचन सभा में व्यक्त किये।

 

मुनि श्री ने कहा कि”अनिर्णय” की स्थिति और विपरीत निर्णय हमारी प्रगति में बाधक है,वहीं त्वरित एवं सही समय पर निर्णय लेने वाला व्यक्ति प्रगति पथ पर आगे बढ़ता है।

 

मुनि श्री ने अनुभव, औचित्य,आत्म विश्वास, तथा अनुभवों की समीक्षा ये चार बातों पर प्रकाश डालते हुये कहा कि यदि अनुभव के आधार पर औचित्य का बोध करके आत्मविश्वास के साथ पुराने अनुभव की समीक्षा कर आगे बढ़ेंगे तो निश्चित करके कभी असफल नहीं होगे” उन्होंने कहा कि जीवन में अनेक प्रसंग ऐसे आते है जो चित्त को डावाडोल कर रखते है व्यक्ति सही समय पर सही निर्णय नहीं ले पाता और आया हुआ अवसर उसके हाथ से निकल जाता है।

 

मुनि श्री ने कहा कि आपके जीवन में भी कही क्षण ऐसे आये होंगे जब आप भय- मोह -आत्म विकास की कमी तथा जानकारी के अभाव में सही समय पर सही निर्णय नहीं ले पाये और आया हुआअवसर हाथ से निकल गया,उन्होंने कहा कि आपके अंदर निर्णय लैने की क्षमता तो है लेकिन आत्मविश्वास की कमी से आप त्वरित निर्णय नहीं कर पाते,एक सफल मनुष्य की यही विशेषता होती है कि वह यदि कोई गलत निर्णय भी कर लेता है तो अपनी योग्यता और अनुभव से त्वरित निर्णय लेकर सही समय पर सही कर लेता है।

 

उन्होंने बैरिस्टर हरीसिंह गौर जिनके नाम से सागर विश्वविद्यालय चलता है के जीवन की एक घटना सुनाते हुये कहा कि अदालत में जज के समक्ष पहुंचे एवं बिना फाईल देखे उन्होंने जो बात कही वह सभी बातें विपक्ष की ओर की रख दी इससे उनके मुवक्किल की हालत खराब और विपक्ष का वकील खुश हो गया जैसे ही हरिसिंह जी को इस बात का अहसास हुआ कि वह विपरीत दिशा में चले गये है उन्होंने त्वरित अपने आप को संभाला ओर कहा कि अभी तक मेंने जो भी बातें कही वह मेरे विपक्ष केवकील के द्वारा कही बात का समर्थन है,लेकिन यह बात सही नहीं है और उन्होंने अपने द्वारा कही हुई बात को ही एक एक करके काटना शुरू किया और वह उस केस को जीत गये।

 

मुनि श्री ने कहा कि जिसके अंदर आत्मविश्वास होता है वह विपरीत परिस्थितियों में भी अपने आपको संभाल लेता है वह जो होगा वह देखा जायेगा कि तर्ज पर नहीं जो तय किया है वही होगा कि तर्ज पर चलता है।उन्होंने अनिर्णय की क्षमता को समाप्त करने तथा आत्मविश्वास जाग्रत करने के लिये भावनायोग का अभ्यास कराते हुये कहा नियमित अभ्यास से अनिर्णय की स्थिति का निवारण हो सकता है।

अविनाश जैन विद्यावाणी से प्राप्त जानकारी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312

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