शाकाहार प्रेरक डॉक्टर कल्याण गंगवाल ने चाइनीस मांझा उपयोग न करने की अपील की
पुणे
शाकाहार प्रेरक सर्वजीव मंगल प्रतिष्ठान के डॉक्टर कल्याण गंगवाल ने जीव दया एवं परोपकार के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किए हैं। उन्होंने मकर संक्रांति की अवसर पर चाइनीस मांझा का उपयोग करने की अपील सभी से की।
एक वीडियो के माध्यम से उन्होंने कड़ी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हर वर्ष मकर संक्रांति पर अनेकों प्राणी एवं पशु पक्षी अपनी जान गवा देते हैं, इसका मुख्य कारण ही पतंग महोत्सव !!उन्होंने कहा की पतंग महोत्सव हमारी परंपरा है लेकिन पतंग उड़ाना अनेकों लोगों की और पशु पक्षियों के लिए एक सजा बन गई है। इसमें जो चाइनीस मांझा जो उपयोग किया जाता है वह पशु पक्षियों के लिए खतरनाक बन चुका है। पिछले 30 40 सालों से यह मांझा मार्केट में आ चुका है यह नायलॉन का मांझा होता है इसमें कांच लगा होता है। और हाथ से यह टूटता नहीं है पतंग काटने का मजा लेने के लिए इसका उपयोग किया जाता है लेकिन इसकी चपेट में आने से हजारों पक्षी जख्मी हो जाते हैं साथ में कई पशु पक्षी एवं अपनी जान तक गवा देते हैं। उन्होंने कड़ी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले वर्ष हजारों पक्षी इस मांजा से मर गए करीबन 215 लोगों ने अपनी जान गवा दी।
उन्होंने अपील करते हुए कहा कि मैं डॉक्टर होने के नाते आप सभी से अपील करता हूं कि इसके उपयोग से पंछियों की पंख कट जाते हैं और वे जख्मी हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है आप इस मांझे का उपयोग न करें ना करें ना करें। उन्होंने सर्वजीव मंगल प्रतिष्ठान के द्वारा आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के आशीर्वाद पूज्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज की मंगल प्रेरणा से विद्या प्रमाण रेस्क्यू अभियान चलाया हुआ है। इसमें वह एंबुलेंस रखते हैं और दस्तावेज रखते हैं साथ में एक डॉक्टर भी उसमें होता है। और जहांजहां कोई भी व्यक्ति एवं पंछी जख्मी होता है उसको रेस्क्यू किया जाता है रेस्क्यू कर उसका इलाज किया जाता है वापस उन्हें खुले आकाश में छोड़ दिया जाता है। और यह काम वह कई सालों से कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मैं आप सभी से अपील करता हूं कि आप ज्यादा से ज्यादा पंछी बचानेका अभियान चालू रखें। जीव दया अहिंसा का कार्य करना चाहिए, हमें यह पंछी बचाने है,
जो चीज हम ले नहीं सकते वह चीज दूसरों को देने का भी हमें अधिकार नहीं है। कोई पंछी अगर मर गया तो हम उसे दोबारा जान नहीं दे सकते।
चाइनीस मांझा के विषय में उन्होंने कहा कि आपको मालूम होगा कि इस पर 1997 से प्रतिबंध लगाया हुआ है मगर आज भी यह है मार्केट में उपलब्ध है। एक जागरूक नागरिक होने के नाते हम लोगों को इसके बारे में मालूमात कराए। पुलिस को सूचित करें और जहां मांझा मिलता है वहां रेड डालने के लिए कहे। यदि ऐसा किया जाए तो यह मांझा मार्केट में नहीं आएगा और हजारों पशु पक्षियों की जान बच जाएगी। और इससे हजारों पक्षी बच जाएंगे बच जाएंगे। अहिंसा के क्षेत्र में सक्रिय बन जाईये
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हम नकारात्मक हिंसा तो बहुत पाल लेते हैं, मैं जान नहीं लूंगा, मैं मांस नहीं खाऊंगा। मगर अहिंसा के लिए सक्रिय बनिए,पुरुषार्थ करिए, जनमानस तक यह संदेश पहुंचाएं और पक्षियों की और जन-जन की जान बचाए जान बचाए।
अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी की रिपोर्ट 9929747312