णमो जिणाणं लघुता_की_धनी_परम्_पूज्या_प्रज्ञा_पद्मिनी_आर्यिका_रत्न_श्री_विज्ञमती_माताजी

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णमो जिणाणं
लघुता_की_धनी_परम्_पूज्या_प्रज्ञा_पद्मिनी_आर्यिका_रत्न_श्री_विज्ञमती_माताजी
????10/12/2021
भाव विव्हल मंगल मिलन-
सच, आज जहाँ सब ओर पद की होड़ लगी हैं, वहीं नारी की सर्वोत्कृष्ट अवस्था -आर्यिका पद की अवधारी और उसमें भी, सर्वाधिक दीक्षा प्रदात्री, दिव्य शक्ति, भारत गौरव, सिद्धांत रत्न गणिनी गुरु माँ विशुद्धमती माताजी द्वारा प्रदत्त #पट्ट_गणिनी जैसे श्रेष्ठ पद पर आसीन होने के बाद भी यश, ख्याति, नाम की चाहना से कोसों दूर, नम्रवृत्ति, सरलता,समता, निस्पृहता की जीवंत मूर्ति, परम् पूज्या आर्यिका रत्न 105 श्री विज्ञमती माताजी, अपनी गुरु बहन परम् पूज्या समता श्रमणी गणिनी आर्यिका 105 श्री विशिष्टमती माताजी के लिए पलके पावड़े बिछाएं उनके स्वागत को आतुर खड़ी थी। अनुपम था वह दृश्य जब विनयशीला पूज्या विज्ञमती माताजी, पद की प्रतिष्ठा से परे, अपनी गुरु बहन से वात्सल्य भावों के परस्पर संवाद के लिए, उनकी आशीष रज अपने मस्तक से लगाने के लिए, चरणों तक झुकती चली गयी और अश्रु धारा से पद प्रक्षालित कर अपने कर्तव्यों का सम्यक रीति से निर्वहन कर सम्पूर्ण जैन जगत एवं देश के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर दिया। वहीं परम् पूज्या ऋजु परिणामी गणिनी आर्यिका श्री विशिष्टमती माताजी ने भी उन्हें झुकने नहीं दिया, किन्तु फिर भी, जब गुणसंपन्ना पूज्या विज्ञमती माताजी ने उन्हें वन्दामि निवेदित कर ही दिया तो सरल परिणामी पूज्या विशिष्टमती माताजी ने उन्हें अपने गले से लगा लिया। सच में अवलोकनीय हैं पूज्या गुरु माँ की ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ शिष्याओं का ऐसा मधुर मिलन। धन्य हैं श्रमण संस्कृति, धन्य हैं दिगम्बरत्व, धन्य हैं पूज्या गुरु माँ का अमिट वात्सल्य।
वन्दामि गुरु माँ
संघस्थ-
परम् पूज्या भारत गौरव गणिनी आर्यिका 105 श्री विशुद्धमती माताजी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमडी

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