आओ नए संकल्प से रक्षा पर्व मनाए
आओ नये संकल्प से
रक्षा का पर्व मनायें
जिनधर्म को बचाने का
बीड़ा हम उठायें।
वीतरागी इस धर्म का
चहुंओर ह्रास हो रहा
अहिंसा और क्षमा का
खुलकर मखौल बन रहा।
अनायास ही साधू साध्वी
काल में समा रहे
सड़क दुर्घटना और हत्या में
बेमौत मारे जा रहे।
जिनमंदिरो पर भी लटकी
खतरे की तलवार है
विधर्मियों की नजरों में खटके
जिनशासन के द्वार हैं।
बढ रही जैनमंदिरों में
चोरी की घटनाएं
जैन धर्म को मिटाने की
बन रही कुत्सित योजनाएं।
हर बड़े तीर्थ पर इनकी
निगाहें हैं टिकी
सरकार और प्रशासन की
आंखें हैं मुंदी।
शिखरजी हो या गिरनार
पालीताणा या गोममटगिरी
हर जैन तीर्थ को हड़पने की
साजिशें हैं बड़ी।
अब समय आया है
मिलकर एक होने का
पंथ संप्रदाय भूलकर
एक साथ आगे बढ़ने का।
अगर समय रहते नहीं चेते
तो वो दिन भी आयेगा
ऋषभदेव के इन वंशजों का
नाम ही मिट जायेगा।
स्वाती जैन
हैदराबाद