दीपावली का पर्व आत्म कल्याण के साथ साथ लोक कल्याण का भी पर्व है।परमपूज्य मुनिश्री क्षमासागर जी
दीपावली का पर्व आत्म कल्याण के साथ साथ लोक कल्याण का भी पर्व है। दीपावली अंतरंग एवं बाह्य रोशनी एवं स्वच्छ्ता का पर्व है। पर्व की सार्थकता तब है जब हम आडंबर से बच कर ये पर्व ऐसे मनाए कि अपने घर के साथ साथ दूसरों के घर में उजाला कर सकें। दीपमालिका की तरह समाज के सभी वर्गों को भी सुख समृद्धि में सहभागी बनाएं ।
“संस्कारों की रंगोली सजे,
विश्वास का दीपक जले,
परंपरा का कलश हो,
संकल्प का श्रीफल हो,
नैतिकता का स्वास्तिक हो,
सद्भावना की सजावट हो,
ज्ञान के बंदनवार बंधें,
विनय के द्वार सजें,
आस्था और ज्ञान की पूजा हो,
स्नेह की गुड़ धानी बंटे,
प्रसन्नता के पटाखे फोडें,
प्रेम की फुलझड़ी जले,
आशाओं के अनार चलें ।”
तभी हम मुक्ति एवं ज्ञान की आराधना कर सकते हैं।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमडी