यदि हम सजग-सरल-संवेदनशील हैं तो कोई वजह नहीं है हमारा जीवन अच्छा न बने।”परमपूज्य मुनिश्री क्षमासागर जी

क्षमासागर जी महाराज

“यदि हम सजग-सरल-संवेदनशील हैं तो कोई वजह नहीं है हमारा जीवन अच्छा न बने।”परमपूज्य मुनिश्री क्षमासागर जी
मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज ने भगवान महावीर स्वामी के जीवन के एक लोक प्रचलित उदाहरण के माध्यम से उनकी

‘संवेदनशीलता’ को गहराई को समझाया हैं।

 

 

 

संवेदनशीलता से आशय सीमित अर्थों में केवल हमारे राग-द्वेष या स्वार्थ के संबंधों से ही नहीं है बल्कि प्राणीमात्र के प्रति मैत्री भाव होने से है। जब हम प्राणीमात्र के प्रति संवेदनशील हो जाते है

,

अपने स्वार्थ से परे सबके बारे में एकमेव भाव से सोचते हैं /देखते और वैसा ही आचरण करते हैं तब हम सच्चे अर्थों में संवेदनशील कहलाते हैं।

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