जैसा क्षमा सागर जी का नाम था वैसे ही उनके गुण थे आगम सागर महाराज
सागर
परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के परम शिष्य समाधिस्थ मुनि श्री 108 क्षमा सागर महाराज की समाधि दिवस के अवसर पर बोलते हुए पूज्य मुनिश्री पुनीत सागर महाराज ने कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के संघ में सबसे पढ़े लिखे मुनिश्री 108 क्षमा सागर जी महाराज थे।
उन्होंने एक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वर्ष 2007 के समय में पूज्य मुनि श्री क्षमासागर महाराज को बिच्छू ने काट लिया तो, वह आचार्य श्री के पास पहुंचे, और कहा आज सामायिक छूट गई, बिच्छू ने काट लिया।
तब आचार्य श्री ने कहा था समता भाव रखना था प्रायश्चित लो, गुरुदेव नियमों के प्रति कठोर रहते थे। मोराजी में आयोजित विनया जली सभा में बोलते हुए मुनि श्री पुनीत सागर महाराज ने कहा कि एक बार आचार्य श्री ने अपने गुरु ज्ञान सागर महाराज से पूछा था कि आपके बाद मेरा क्या होगा तब आचार्य श्री ज्ञान सागर महाराज ने कहा था कि बुंदेलखंड चले जाना। आज बुंदेलखंड से सैकड़ो हीरे मुनि और आर्यिका के रूप में निकले हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए पूज्य मुनि श्री आगम सागर महाराज ने कहा कि गुरु के गुणगान सुने थे 1993 में और वे गुरुदेव के हो गए। जैसा क्षमा सागर जी का नाम था वैसे ही उनके गुण थे। क्षमा सागर जी महाराज पढ़े लिखे युवाओं को आगे लाने का प्रयास करते थे। उनकी मधुर आवाज रास्ते में चलते लोगों को खड़ा कर देती थी। और जो मुनि धर्म नहीं मानते थे, वे भी क्षमा सागर जी की ज्यादा सुनते थे। वे कोमल हृदय के थे। अपनी छाप छोड़ते थे। गुरुदेव ने पूरे बुंदेलखंड को बदल दिया। और गुरुकुल बना दिया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312