व्यक्ति के गुण देखना है तो 3,5-7 दिन उसके साथ रहो प्रसन्नसागर महाराज
रामपुर
परम पूज्य राजश्री 108 प्रसन्न सागर महाराज ने मंगल प्रवचन देते हुए कहा की व्यक्ति की वाणी व्यवहार देखना हो तो उसे सम्मान दो..
उसकी आदत देखनी हो तो उसे स्वतन्त्र कर दो..
उसकी नियत या लोभ वृत्ति देखनी हो तो उसे कर्ज दो..
व्यक्ति के गुण देखने हो तो 3-5-7 दिन उसके साथ रहो..!
महाराज श्री ने कहा कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहने के लिए उसके अन्दर सामाजिक गुणों का होना अत्यंत आवश्यक है। संसार के प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर गुण–अवगुण सहज रूप से पाये जाते हैं। संसार में एक भी घर-मकान ऐसा नहीं है जिसमें द्वार और खिड़की ना हो, ना महल होगा – जिसमें गन्दे पानी को निकलने की मुहरी (नाली) ना हो। कुछ लोग घर-परिवार-समाज और देश में ऐसे मिल जायेंगे, जो दूसरों के अवगुणों को ही देखते हैं। और कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो अवगुणी में भी गुण देख लेते हैं। बुरे से बुरे इन्सान में एक गुण तो होगा ही होगा और अच्छे से अच्छे इन्सान में भी एक अवगुण होगा ही होगा। दूसरों के अवगुण को बताकर व्यक्ति अपने आप को श्रेष्ठ और सभ्य घोषित करना चाहता है।
एक उदाहरण के माध्यम से समझाया
एक पढ़ा लिखा समझदार इन्सान राजधानी ट्रेन में सफर कर रहा था। वह पेशाब करने गया। बाथरूम में कांच के पास लिखा था – कृपया दायें देखें, उसने दायें देखा। फिर वहाँ लिखा था – कृपया बायें देखें। उसने बायी तरफ देखा, वहाँ लिखा था – कृपया ऊपर देखें। उसने ऊपर देखा, ऊपर लिखा था – मूर्ख क्या दायें बायें देखता है, सीधे अपना काम क्यों नहीं करता-? बात हँसने की नहीं, समझने की है। वह व्यक्ति और कोई नहीं आप ही तो हैं।
हम दूसरों के अवगुणों को नहीं बल्कि उसके अवगुण को देखकर संकल्प लें कि ऐसा अवगुण हम अपने जीवन में नहीं आने देंगे। हम दूसरों के अवगुणों से अपने जीवन को संवार सकते हैं और बचा सकते हैं।
जहाँ सुधार की आवश्यकता हो वहाँ जरूर पहल करें, लेकिन जिन्होंने अपने माथे पर लिख लिया है कि – हम नहीं सुधरेंगे तो फिर कुछ भी कहना ऐसा ही है जैसे —
गधे को दो ज्ञान, गधा हिलाये कान…!!!
नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद से प्राप्त जानकारी संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312