शाकाहार के प्रचारक – कल्याण गंगवाल

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शाकाहार के प्रचारक- कल्याण गंगवाल

कहते हैं कि डॉक्टर भगवान का रूप होता है और डॉक्टर का धर्म होता है करूणा, दया, अहिंसा इस उक्ति को प पुणे के मशहूर फिजिशियन कार्डियोलॉजिस्ट कल्याण गंगवालजी अपने कार्यों से सही सिद्ध कर रहे हैंऔर अपने नाम के अनुरूप ही जगत केहर प्राणी के कल्याण में लगे हैं।अपनी मां से मिले प्रबल संस्कारों की
बदौलत आज इनका पूरा जीवन अहिंसा, शाकाहार, जीवदया और लोगोंको व्यसन मुक्ति से छुटकारा दिलाने केप्रति समर्पित है।
इस कार्य के लिये इन्होंने 1987 में सर्वजीव मंगल प्रतिष्ठान की स्थापना की हैजिसके माध्यम से इनका पूरा परिवारअपने ही पैसों से हर जरुरतमंद प्राणीऔर जीवों की मदद कर रहा है। कोरोनाके समय इन्होंने लगभग उनतीस लाखरुपए खर्च कर जरूरतमंदों की मदद की।ये चालीस साल के अपने सामाजिकजीवन में अब तक चालीस लाख से ज्यादा मांसाहारी लोगों को शाकाहारी बना चुके हैं और महाराष्ट्र के ठाकरेपरिवार की कुलदेवी एकवीरा देवी केमंदिर में पशु पक्षियों की होने वाली बलि को भी अकेले ही स्थानीय प्रशासन केसहयोग से रूकवा चुके हैं।सामना करने से सब डरते हैं उसका
आदमी क्या वो मुकम्मल आइना हैबशिरडी के पास स्थित जंगली महाराज आश्रम के करीब डेढ़ लाख अनुयायियों को व्यसन मुक्त बनाना हो या पुणे में होनेवाली बैल दौड़ पर स्टे लगवाना हो
इन्होंने हर असंभव से लगने वाले कार्यो को लगातार अपने प्रयासों की बदौलत संभव बनाया है और समाज और देश को एक बेहतर राष्ट्र बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है।

 

 

पशु पक्षियों के प्रति भी इनके स्नेह औरकरूणा की नींव तभी मजबूत हो गयीजब ये अपने पैतृक गांव शिरडी के पास संगमनेर में अपनी मां को उस गांव केसभी पशु पक्षियों का इलाज और सेवा करते देखते।गंगवाल जी बुलक कार्ट रेस के बारे मेंबताते हैं कि इन्होंने महाराष्ट्र के पूना फेस्टिवल में देखा कि किस तरह से मूक बेलौ को दौड़ाने से पहले उन पर नानाप्रकार के अत्याचार हो रहे हैं जैसे उनकेकानों में चींटियां डालना, बैलों को शराब पिलाकर पीटा जानातभी इन्होंने इसके खिलाफ आवाजउठायी और कोर्ट से इस गलत प्रथा पर स्टे लगवाया।

अन्याय के विरुद्ध अकेले लड़ाई आसान नहीं थी। इन पर हमले किये गये,कपड़े फाड़े गये और इनकी गाड़ियों केशीशे भी तोडे गये लेकिन आज भी उतने ही जुनून के साथ ये अपने मिशन में लगे हुये हैं।ये उन लोगों को आड़े हाथ लेते हैं जो


वाईन को शराब नहीं मानते। गंगवाल जी डॉक्टर होने के नाते उन सभी नशीलेपदार्थों का विरोध करते हैं जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। इसकेलिये सामाजिक कार्यकर्ताओं के
सहयोग से सुपर मार्केट और किरानास्टोर्स में वाईन और गुटखा बिक्री केविरोध में आंदोलन भी कर रहे हैं।आज इनके प्रयासों से देश – विदेश केअनेकों डॉक्टर शाकाहारी बन गये हैं।
अभी हाल ही में सत्रह अक्टूबर दोहजार इक्कीस को शिकागो में आयोजितहुये विश्व धर्म संसद में भी इन्होंने देश का नेतृत्व करते हुये ‘कोरोना में करुणा’विषय के माध्यम से पूरे विश्व कोअहिंसा और शाकाहार का पाठ पढ़ायाऔर बताया कि अगर हमें जीवों के प्रति दयारखनी है तो अपने भोजन में भीकरुणा को स्थान देना ही होगा।
मकर संक्रांति के पर्व पर घायल होनेवाले पक्षियों के बचाव के लिये विशेषप्रयास करते हैं और भविष्य में इनकीइच्छा पुणे में पक्षियों के लिये एक अस्पताल शुरू करने की है येअपनी असंख्य उपलब्धियों के लिये लगभग 150 से ज्यादा राष्ट्रीय औरअंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैंऔर इनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्डरिकॉर्ड और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया जा चुका है।कल्याण गंगवाल जी द्वारा किये जा रहे ये कार्य कोई साधारण उपलब्धियां नहीं हैं।बल्कि हजारों सालों तक इन कार्यों की छाप आगे आने वाली पीढ़ियों कोअहिंसा और शाकाहार की बदौलत भारत को विश्व गुरु के रूप मेंप्रतिस्थापित करेगी। –

स्वाति जैन हेदराबाद से प्राप्त जानकारी

संकलित अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमड़ी

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