आओ पर्यावरण दिवस मनावे प्रकृति से विकृति हटाये

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आओ पर्यावरण दिवस मनावे प्रकृति से विकृति हटाये

आज विश्व पर्यावरण दिवस है हमारे जीवन में प्रकृति और पर्यावरण दोनों का ही बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। प्रकृति ने स्वर्ग की तरह सभी आयाम सुविधाएं मानव जाति को प्रदान की परंतु मानव जाति ने कभी प्रकृति का साथ नहीं दिया । प्रकृति में विकृति क्यों आती है कभी हमने विचार किया। प्रकृति में विकृति आने का कारण संपूर्ण मानव जाति जिम्मेदार है। प्रकृति में विकृति के रूप में अतिवृष्टि, अनावृष्टि, ओलावृष्टि, भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी, वैश्विक महामारी कोरोना जैसी प्राकृतिक आपदाएं आती है । हमने प्रकृति के सभी आयाम जल जंगल जमीन सभी का खूब दोहन किया। कभी संरक्षण संवर्धन के बारे में नही सोचा। उसी का फल हम सब को भुगतना पड़ेगा। प्रतिवर्ष लाखों बेजुबान निरीह है जीवो की हत्या की जाती है जब प्रकृति और परमात्मा ने उन्हें जीवन दान दिया है तो हम उनको मौत के घाट उतारने वाले कौन होते है। जब शासन प्रशासन सरकार उनकी पीड़ा उनके दुख को नहीं सुनती है तो की प्रकृति और परमात्मा उनकी पीड़ा उनकी संवेदना उनके दुख को सुनते हैं और जब प्रकृति परमात्मा उनकी दर्द को पीड़ा को संवेदना को समझते हैं तो फिर प्रकृति में विकृति आती है।यह सार्वभौमिक सत्य है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण वैश्विक महामारी कोरोना है इससे अभी तक सभी देश लड़ रहे हैं कोरोना के कहर ने सादगी से जीवन जीना सिखा दिया।अब भी समय है हम प्रकृति और पर्यावरण के साथ खिलवाड़ नही करे। इसके और संरक्षण संवर्धन के लिए भरकस प्रयास करें। प्रकृति की हर विरासतों को ओर सभी जीवों को अपना समझे। सब आपके अपने है। नजरे अपनी बदलो नजारे बदल जाएंगे सबको अपना मानो सब आपके हो जाएंगे । आज पर्यावरण दिवस के पावन स्वर्णिम अवसर पर मैं राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पारस जैन “पार्श्वमणि” पत्रकार कोटा से शासन प्रशासन भारत सरकार से हाथ जोड़ कर आत्मिय निवेदन करता हूं कि जो भी व्यक्ति मकान दुकान प्लॉट प्रोपर्टी इत्यादि की रजिस्ट्री के लिए जब आवे तब उनसे 5 पौधे लगाने का शपथ पत्र भरा जाए। यह समय की मांग है । इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
प्रस्तुति
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी
*पारस जैन “पार्श्वमणि” पत्रकार कोटा (राज)*

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