आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने अपने संस्थानों पर बोर्ड हिंदी मे लगाए जाने के साथ हिंदी मे हस्ताक्षर करने पर ज़ोर दिया
रहली
पटनागंज रहली में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने हिंदी पर जोर देते हुए कहा किसी शहर, कस्बे या गांव के लोग यह तय कर ले कि उन्हें अपनी दुकान पर बोर्ड हिंदी में ही लगाना है। उन्होने कहा यदि एक ही साथ किसी स्थान पर हिंदी में लिखे बोर्ड दिखेंगे तो अन्य लोगों को यह लगने लगेगा कि हिंदी भाषा में लोगों का रुझान बढ़ रहा है। वो लोग भी ऐसा ही करेंगे।
इस विषय पर और जोर देते हुए उन्होने कहा अपनी दुकान और संस्थान का नाम पूर्णतः हिंदी में लिखें और यदि किसी शहर में हो जाता है तो लोगों के मन में हिंदी के प्रति लगाव बढने लगेगा। इस विषय में सभी वर्ग के व्यक्तियों को आगे आना चाहिए। जिससे आम जन जन में भी हिंदी के प्रति रुझान तेजी से बढे हिंदी मे हस्ताक्षर करने पर जोर दिया
उन्होने हिंदी मे हस्ताक्षर करने पर जोर देते हुए कहा लोगो को अपने हस्ताक्षर हिंदी मे ही करना चाहिए। उन्होने यह भी कहा कोर्ट मे हो रहे फैसले भी हिंदी भाषा मे होने चाहिए ताकि आम जन भी समझ सकें।
भविष्य मे हिंदी ही राष्ट्र भाषा होगी
महाराज श्री ने इस बात को सभी को जोर देते कहा आने वाले भविष्य मे हिंदी ही राष्ट्र भाषा होगी। उन्होंने यह भी कहा की मुझे किसी ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार के तमाम विभागों, मंत्रालयों, संगठनों और संस्थानों का हिंदी स्वरूप भारत के अपने हिंदी डोमेन से चलाने का भारत सरकार का निर्णय हुआ है। इसकी सराहना करते हुए आचार्य श्री ने कहा इससे हिंदी इंटरनेट की मान्य भाषा बन सकेगी। इंडिया.सरकार.भारत एड्रेस के लागू होने से हिंदी के साथ साथ ही भारत बोलने का चलन भी तेजी से बढ़ेगा। महाराज श्री ने कहा सरकार ने एक पहल की है अब दूसरी पहल आम लोगों को भी आज या कल करनी ही चाहिए। इस मुहीम मे व्यापारी वर्ग सबसे पहले आगे आए। उनकी दुकान, प्रतिष्ठान के नाम के जितने भी बोल्ड अंग्रेजी में लिखे हुए हैं उन्हें हिंदी में लिखवाएं। इससे हिंदी के प्रयोग का चलन तेजी से बढ़ेगा। धीरे-धीरे अन्य लोग भी आगे आएंगे।
जानकारी देते हुए मुनि सेवा समिति के सदस्य मुकेश जैन ढाना ने बताया आचार्य विद्यासागर महाराज हिंदी को लेकर के लंबे समय से प्रवचनों के माध्यम से अपनी बात कह रहे हैं। जैन समाज ने भी आचार्यश्री के आह्वान पर इंडिया नहीं भारत बोलो को आत्मसात किया है। हिंदी को केंद्र और राज्य की सरकारें ज्यादा महत्व दें तो धीरे-धीरे हिंदी का चलन पूरे देश में हो जाएगा।
संकलित अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी