नगर गौरव आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी का दीक्षा उपरांत 31 वर्षों के बाद 1 दिसंबर को होगा प्रथम नगर प्रवेश। दिगंबर संत की भविष्यवाणी हुई साकार।
मुंगावली
रत्नों ,मूंगे की नगरी मुंगावली मध्य प्रदेश की कोहिनूर 60 वर्षीय वात्सल्य मूर्ति गणनी परम पूज्य 105 आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी एवम् आर्यिका श्री विश्वयश मति जी का प्रथम बार बुंदेलखंड के सिद्ध क्षेत्र के लिए प्रभावना पूर्वक बिहार चल रहा है । आपने वर्ष 2024 का चातुर्मास टीकमगढ़ में कर बुंदेलखंड यात्रा कर रही हैं। मुंगावली दिगंबर जैन समाज अध्यक्ष ,महामंत्री एवं पदाधिकारीगण ने बताया कि नगर गौरव आर्यिका श्री सृष्टिभूषण माता जी का आर्यिका श्री विश्वयशमति और क्षुल्लिका श्री आप्तमति सहित 1 दिसंबर को गृह नगर मुंगावली में दीक्षा के 31 वर्ष उपरांत प्रथम बार भव्य मंगल प्रवेश होगा। नगर में जगह-जगह जैन समाज द्वारा घरों में रोशनी कर रंगोली लगाई जा रही है। नगर को माताजी के चित्रों के फ्लेक्स ,बैनर कट आउट स्वागत द्वारो से सजाया गया है।
एक परिचय
23 मार्च 1964 को जन्मी सुलोचना दीदी ने सिद्ध क्षेत्र श्री सम्मेदशिखर जी में आचार्य श्री सुमतिसागर जी और विद्याभूषण आचार्य श्री सम्मतिसागर जी से 26 मार्च 1994 को आर्यिका दीक्षा लेकर आर्यिका श्री सृष्टिभूषण जी नामकरण हुआ 31 वर्ष के संयमी जीवन में 10 से अधिक राज्यो मे भ्रमण कर धर्म की प्रभावना की। आपकी मंगल प्रेरणा से महाव्रती एवम अणु व्रती त्यागियो के लिए सृष्टि मंगलम संस्था के माध्यम से सिद्ध क्षेत्र सम्मेद शिखर जी,सोनागिर जी अतिशय क्षेत्र महावीर जी ,महानगर देहली में शुद्ध आहार की व्यवस्था चल रही हैं आदि सृष्टि संस्था के माध्यम से केंसर मरीजों तथा अन्य बीमारियों के इलाज कराए जाते हैं 31 वर्ष के संयमी जीवन में 25000 से अधिक किलोमीटर का विहार किया है 29 सितंबर 2019 को विश्व प्रसिद्ध संस्था ने मानव रत्न अलंकरण से देहली में विभूषित किया। आपको अनेक नगरों की समाज द्वारा अनेक उपाधियों से सुशोभित किया गया है। गौर तलब है कि मध्य प्रदेश में जन्मी आर्यिका माताजी का मध्य प्रदेश में पहला संयमी जीवन का 31वां चातुर्मास टीकमगढ़ मध्य प्रदेश में हुआ और दीक्षा के उपरांत 31 वर्षों के बाद प्रथम बार आप नगर प्रवेश कर रही है आप नगर गौरव की अगवानी के लिए संपूर्ण मुंगावली नगरी के अलावा आसपास के अनेक नगर भी काफी उत्साहित है।इस अवसर पर आर्यिका माताजी के ग्रहस्थ अवस्था के परिजनों के साथ बचपन की सहेलियां भी माताजी के आगमन को लेकर काफी उत्साहित हैं। आर्यिका माताजी से लगभग 18 वर्षों से जुडी श्री विश्व यश मति माता जी ने बताया कि जब माताजी ग्रहस्थ अवस्था में 4 वर्ष की उम्र की थी तब गणनी आर्यिका श्री सुपार्श्वमति माताजी ने यह भविष्यवाणी की थी कि जिस दिन यह बालिका सुलोचना किसी दिगंबर संत को देख लेगी तो यह घर का त्याग कर वैराग्य मार्ग पर आगे अग्रसर होगी और ऐसा ही हुआ कि जब क्षुल्लक अवस्था में आचार्य श्री ज्ञानसागर जी मुंगावली आए तब से सुलोचना जी संघ में शामिल हो गई। माताजी के प्रथम नगर आगमन को लेकर पूरे देश भर से आर्यिका माताजी के हजारों भक्त मुरादाबाद, दिल्ली ,कोसी ,इंदौर भोपाल आगरा ,राजाखेड़ा उत्तर प्रदेश आदि अनेक नगरों से आ रहे हैं।