भौतिक सुखों की कामना से यदि आप मंदिर गये तो यह भगवान की आज्ञा का उल्लंघन है नियम सागर महाराज
विदिशा
भौतिक सुखों की कामना से यदि आप मंदिर गये तो यह भगवान की आज्ञा का उल्लंघन है उपरोक्त उदगार निर्यापक श्रमण मुनिश्री नियमसागर महाराज ने प्रातःकालीन प्रवचन सभा में व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि जंहा “शुभ इच्छाए आत्मोन्नति का कारण बनती है,वही अशुभ इच्छायें आत्मा को पतन की ओर ले जाती है”उन्होंने कहा कि 8 कर्मो में एक मोहनीय कर्म भी है,जो हमेशा आपको परेशान करता है यह कर्म हमारे आपके कर्म की वजह से ही आया है जो हमारी बुद्धि को उल्टा कर देता है, असत्य को सत्य और सत्य को असत्य स्वीकार करा देता है,मुनि श्री ने कहा कि यदि हम जाग्रत होते तो असत्य को अपना मार्ग नहीं बनाते।
- “भौतिक सुखों की इच्छा से यदि आप मंदिर गये तो यह भगवान की आज्ञा का उलंघन है” परमात्मा कभी किसी का कर्ता नहीं बना अज्ञानी ही मांगता है ज्ञानी कभी मांगता ही नहीं कहा भी है “बिन मांगे मोती मिले” भगवान की कृपा से आपका भला नहीं होगा भगवान की पूजा अभिषेक करने से आपके परिणामों की निर्मलता से आपका भला होता है। कुछ लोगों की मान्यता है कि “ऊपरवाला पासा फैके नीचे चलते दाव” इससे तो यह सिद्ध होगा कि ऊपर वाला परमात्मा ही हमसे उल्टे सीधे सभी कार्य करवा रहा है यह एक अज्ञान दशा कहलायेगी मुनि श्री ने कहा कि भगवान की शांतिधारा की बोली ली और शांतिधारा में नाम छूट गया क्या वह दिन व्यर्थ हो गया? मुनि श्री ने कहा कि समस्या रहित जीवन जिओ “अपने आपके कर्ताधर्ता आप स्वयं हो भगवान नहीं” यह जिनेन्द्र भगवान की वाणी है,इसे लोगों के अनुसार मत सुनो जैसा जिनेन्द्र भगवान ने कहा है उस अनुसार सुनो और उनकी आज्ञा का पालन करो तभी आप अपनी आत्मा का भला कर सम्यक् दृष्टी बन सकते है।
प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया 15 अगस्त को शीतलधाम में प्रातः10-15 बजे ध्वजारोहण किया जाएगा। श्री शीतल विहार न्यास टृस्ट श्री सकल दि. जैन समाज एवं चातुर्मास समिति के सभी पदाधिकारियों ने सभी से पधारने का अनुरोध किया है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312