मुनिश्री विनीत सागर महाराज, मुनिश्री अतुल सागर महाराज द्वय ऋषिराज का रात्रि विश्राम घास फूस की एक झोपड़ी में हुआ, निर्मोही साधक

धर्म विनीत साग़र जी महाराज

मुनिश्री विनीत सागर महाराज, मुनिश्री अतुल सागर महाराज द्वय ऋषिराज का रात्रि विश्राम घास फूस की एक झोपड़ी में हुआ, निर्मोही साधक
सेनगाव
धरती अंबर आकाश बिछोना
ऐसे दिगंबर संत का क्या कहना

यह तथ्य की सार्थकता तब परिलक्षित हुई जब युग शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के परम शिष्य परमपूज्य मुनिश्री विनीतसागर महाराज, परमपूज्य मुनिश्री अतुलसागर जी महाराज का मंगल विहार परभणी (संभावित) चातुर्मास हेतु हो रहा है।

 

 

 

 

मंगल विहार के क्षणों में निर्मोही मुनि द्वय जो राज रंग से परे हैं, और उन्हें किसी तरह का कोई मोह नहीं है केवल अपनी साधना में लगे रहते हैं। उन्हें बस अपनी ध्यान साधना के प्रति लगाओ होता है।

इसका प्रमाण जब देखने को मिला बिहार के क्षणों में मुनि संघ का रात्रि विश्राम घास फूस की एक झोपड़ी में हुआ,
जिनके चरणों को तरसते हैं नयन
मेरे गुरुदेव तुम्हें कोटि नमन
जिनकी आशीष को पाने के लिए जिनके चरणों को पाने के लिए देवता भी तरसते हैं ऐसे मुनिराज जंगल में साधना करते दिखे। क्या खूब लिखा है

जिनके चरणों को पाने बड़े बड़े महल तरशते है, वह अपनी निरीह चर्या को पालने वन में ठहरते है ।
करते तप शैल तरु तल वर्षा की झाड़ियों में
समता रसपान किया करते सुख दुख दोनों की घड़ियों में।
यह भी देखने को मिला
हो अर्ध निशा का सन्नाटा वन में वनचारी चरते हो।
तब शांत निराकुल मानस तुम तत्वों का चिंतन करते हो।
जिस प्रकार वन में चरते हुए श्री राम एक कुटिया में जाकर रात्रि विश्राम करने लगे। तब वह भक्त भी कहने लगा मेरी झोपड़ी में राम आएंगे जरूर राम आएंगे जरूर। ऐसा क्षण सच में देखने को मिला कि कलयुग के राम और लक्ष्मण झोपड़ी में आए हो।
अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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